बलात्कारियों को रिहा करना,सम्मानित करना शर्मनाक और आज़ादी के अमृत महोत्सव को कलंकित करने वाला है।
(अनवार अहमद नूर)
जब सारा देश आज़ादी के अमृत महोत्सव में शामिल होकर खुशियाँ मना रहा था तब बड़े ही विचित्र ढंग से गुजरात में बिलकिस बानो से गैंगरेप करने वाले दोषियों की रिहाई कर दी गयी। 15 अगस्त के दिन गुजरात सरकार ने इन 11 दोषियों की रिहाई के आदेश दिए। इस रिहाई की खबर ने देश के सैकुलर वर्ग और भारतीय लोकतन्त्र पर मानो व्रजपात कर दिया। देश के इतिहासकारों, महिलाओं एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित 6000 से ज्यादा लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि बिलकिस बानो मामले में बलात्कार और हत्या के लिए दोषी 11 व्यक्तियों की सज़ा माफ करने के फैसले को रद्द किया जाए। एक संयुक्त बयान में कहा गया कि गैंगरेप और हत्या के दोषी 11 लोगों की सज़ा माफ करने से उन बलात्कार पीड़िताओं का न्याय व्यवस्था पर से भरोसा उठ जाएगा, जिन्हें न्याय की मांग करने और इस व्यवस्था पर विश्वास करने को कहा गया है।
बयान जारी करने वालों में सैयदा हमीद, जफरुल इस्लाम खान, रूप रेखा, देवकी जैन, उमा चक्रवर्ती, सुभाषिनी अली, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला, हसीना खान, रचना मुद्राबाईना, शबनम हाशमी और अन्य शामिल हैं। नागरिक अधिकार संगठनों में सहेली वूमन्स रिसोर्स सेंटर, गमन महिला समूह, बेबाक कलेक्टिव, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन्स एसोसिएशन, उत्तराखंड महिला मंच और अन्य संगठन शामिल हैं। बयान में मांग की गई है कि सज़ा माफी का फैसला तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
बयान के मुताबिक, हत्या और बलात्कार के इन दोषियों को सज़ा पूरी करने से पहले रिहा करने से महिलाओं के प्रति अत्याचार करने वाले सभी पुरूषों के मन में (दंडित किए जाने का) डर खत्म हो जाएगा। बयान में कहा गया, ‘हम मांग करते हैं कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं के विश्वास को बहाल किया जाए। हम इन 11 दोषियों की सज़ा माफ करने के फैसले को तत्काल वापस लेने और उन्हें सुनाई गई उम्र कैद की सज़ा पूरी करने के लिए जेल भेजने की मांग करते हैं। सज़ा माफी नीति के तहत गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों की रिहाई की अनुमति दिए जाने के बाद, वे 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से बाहर आ गए। इन दोषियों ने जेल में 15 साल से ज्यादा समय बिताया है। मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को इन 11 लोगों को बलात्कार और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। उनकी दोषसिद्धि को बंबई हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। बिलकिस बानो के साथ जब सामूहिक बलात्कार किया गया था, उस वक्त वह 21 वर्ष की थीं और पांच महीने की गर्भवती थी। मारे गए लोगों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी। उधर इस मामले को लेकर अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने गुजरात के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के फैसले पर कड़ा ऐतराज़ जताते हुए दोषियों की समय पूर्व रिहाई को अनुचित करार दिया है।
आयोग के उपाध्यक्ष अब्राहम कूपर ने एक बयान में कह कि यूएससीआईआरएफ 2002 के गुजरात दंगों के दौरान एक गर्भवती मुस्लिम महिला से बलात्कार और मुस्लिम पीड़ितों के खिलाफ हत्या करने के लिए उम्रकैद की सज़ा पाने वाले 11 लोगों की जल्द और अनुचित रिहाई की कड़ी निंदा करता है। दोषियों की जल्दी रिहाई को ‘न्याय का उपहास’ बताते हुए आयोग के कमिश्नर स्टीफन श्नेक ने कहा कि यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में शामिल लोगों के लिए दंड से मुक्ति के पैटर्न का हिस्सा है।
आपको बता दें कि तीन मार्च 2002 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिल्किस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिल्किस उस समय पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई। इस मामले के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था।
बिलकिस बानो ने इस प्रकरण पर कहा कि उनके और उनके परिवार के सात लोगों से जुड़े मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई ने न्याय पर उनके भरोसे को तोड़ दिया है। उन्होंने कहा, इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और न ही उनके भले के बारे में सोचा। उन्होंने गुजरात सरकार से इसे बदलने और उन्हें बिना डर के शांति से जीने का अधिकार देने को कहा।
बिलकिस बानो की ओर से उनकी वकील शोभा द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा कि 15 अगस्त, 2022 को जब मैंने सुना कि मेरे परिवार और मेरी जिन्दगी बर्बाद करने वाले, मुझसे मेरी तीन साल की बेटी को छीनने वाले 11 दोषियों को आजाद कर दिया गया है तो 20 साल पुराना भयावह अतीत मेरे सामने मुंह बाए खड़ा हो गया। इस मामले को लेकर अनेक नेताओं और संगठनों नें अपनी कड़ी प्रतिकिर्या दी है और भाजपा पर तीखा हमला बोला है। असद्दुीन ओवैसी के बाद कांग्रेस पार्टी ने तंज कसते हुए कहा कि इधर स्वतंत्रता दिवस के भाषण में पीएम मोदी “नारी शक्ति” के बारे में बोल रहे थे, उधर, गुजरात सरकार ने गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहा कर दिया। यह भाजपा के लिए नए भारत का असली चेहरा है। क्या यह अमृत महोत्सव है-? आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषियों को गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत मुक्त करने का आदेश दिया है। जब ये जेल से बाहर आ रहे थे तो इनका मिठाई और माला पहनाकर स्वागत किया गया। जो अत्यधिक शर्मनाक है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि क्या उन्हें महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण की बात पर खुद अपनी बातों पर विश्वास है? गुजरात में भाजपा सरकार ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को रिहा कर दिया। यह निर्णय भाजपा सरकार की मानसिकता को सामने लाता है।” उन्होंने कठुआ और उन्नाव बलात्कार मामलों का भी जिक्र किया और कहा कि यह राजनीति में सभी को शर्मिंदा करता है जब एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के पदाधिकारी और समर्थक सड़कों पर बलात्कारियों के पक्ष में रैली निकालते हुए देखे जाते हैं।
खेड़ा ने कहा है कि लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने महिला सुरक्षा, महिला शक्ति, महिला सम्मान के बारे में बड़ी बातें कीं। कुछ घंटों बाद, गुजरात सरकार ने बलात्कारियों को रिहा कर दिया। हमने यह भी देखा कि बलात्कार के दोषियों को सम्मानित किया जा रहा है। क्या यह अमृत महोत्सव है?” खेड़ा ने आगे कहा, “कांग्रेस ने पीएम से देश को यह बताने के लिए कहा कि उन्होंने लाल किले की प्राचीर से जो कहा वह केवल शब्द थे, क्योंकि उन्हें खुद उनकी बातों पर विश्वास नहीं। असली नरेंद्र मोदी कौन है? जो लाल किले की प्राचीर से झूठ बोलते हैं या जिसने अपनी गुजरात सरकार को बलात्कारियों को रिहा करने के लिए कहा?”
बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की सजा माफ करने वाली सरकारी समिति का हिस्सा रहे बीजेपी के एक विधायक ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के इस मामले में दोषी कुछ लोग ‘ब्राह्मण’ हैं जिनके अच्छे ‘संस्कार’ हैं और यह संभव है कि उनके परिवार की अतीत की गतिविधियों के चलते उन्हें फंसाया गया होगा। गोधरा से बीजेपी विधायक सी. के. राउलजी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि 15 साल से ज्यादा समय बाद जेल से रिहा किये गए दोषी अपराध में शामिल थे या नहीं। बिलकिस बानो गैंगरेप केस में आजीवन कारावास की सजा पाए सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा उप जेल से रिहा कर दिया गया।
गुजरात सरकार की सज़ा माफी योजना के तहत उन्हें रिहा किया गया। राउलजी ने कहा, ‘हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर निर्णय लिया था। हमें दोषियों के आचरण को देखना था और उन्हें समय से पहले रिहा करने पर निर्णय लेना था।’ उन्होंने कहा कि ‘हमने जेलर से पूछा और पता चला कि जेल में उनका आचरण अच्छा था। इसके अलावा कुछ दोषी ब्राह्मण हैं। उनके संस्कार अच्छे हैं.’ राउलजी ने कहा कि दोषियों को फंसाया गया हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘संभव है कि उनके परिवार के अतीत में किये गए कामों के कारण उन्हें फंसाया गया हो। जब ऐसे दंगे होते हैं तो ऐसा होता है कि जो शामिल नहीं होते उनका नाम आता है। लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने अपराध किया था या नहीं। हमने उनके आचरण के आधार पर सज़ा माफ की।
इस तरह बिलकिस बानो के बलात्कारियो को जो ब्राह्मण भी हैं अच्छे संस्कारों का हवाला देते हुए जेल से छोड़ दिया गया और हिन्दू कट्टरपंथी वाले संगठन उनके समर्थक इन अच्छे संस्कार वाले ब्राह्मण बलात्कारियों का सम्मान करके अपने संस्कारों का असली परिचय दे रहे हैं। जो वास्तव में इंसानियत,भारतीयता,नैतिकता ही नहीं पूरे भारतीय लोकतन्त्र पर कलंक ही है।