(जालोर- सांचौर- राजस्थान) (क़ौमी आगाज़ ब्यूरो)
राजस्थान के जालोर में आर्थिक तंगी से परेशान एक पिता ने अपने 11 महीने के बेटे को नर्मदा नहर में फेंककर मार डाला। आरोपी ने दो साल पहले लव मैरिज की थी। कोई काम नहीं होने के कारण घर खर्च नहीं चला पा रहा था। ऐसे में उसने बच्चे को मारने का प्लान बनाया और दादा-दादी के पास छोड़ने के बहाने पत्नी से बच्चे को लेकर गुजरात से राजस्थान आ गया। घटना जालोर के सांचौर की है। लगभग 24 घंटे बाद मासूम का शव मिला। पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी मुकेश (24) बनासकांठा के नलोधर गांव का रहने वाला है। सांचोर थाने के एएसआई राजू सिंह ने बताया कि अपने 11 महीने के बेटे के मर्डर से पहले गुरुवार को मुकेश ने सिद्धेश्वर (सांचौर) गांव में रामदेवरा यात्रियों के लिए लगाए गए राम रसोड़े में खाना खाया। फिर पत्नी से कहा, ‘हमारी लव मैरिज के चलते घरवाले नाराज हैं, इसलिए मैं अकेले जाकर बच्चे को उसके दादा-दादी के पास छोड़ आता हूं।’
पुलिस के मुताबिक उसने पत्नी को वहीं पर रोका और लगभग दो सौ मीटर दूर जाकर बेटे को नहर में फेंक दिया। वापस आकर उसने पत्नी को बताया कि बच्चे को घर के बाहर छोड़कर आया हूं। घरवालों को फोन करके बता दूंगा।
मुकेश ने पुलिस को बताया कि करीब दो साल पहले उसने बिहार के मुजफ्फरपुर की लड़की से लव मैरिज की थी। वह शादी के बाद पत्नी के साथ अहमदाबाद में रह रहा था। वहां पर वह सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था।
करीब सात महीने पहले उसकी नौकरी छूट गई। उसने परिवार चलाने के लिए भीख तक मांगी। पर कोई फायदा नहीं हुआ। आर्थिक तंगी से परेशान होकर उसने पूरे परिवार के साथ कांकरिया (अहमदाबाद) तालाब में कूदकर सुसाइड करने का प्लान बनाया था, लेकिन वहां लोगों की आवाजाही होने से तब वह ऐसा नहीं कर पाया। राम रसोड़े में पुलिस मित्र काना राम (43) ने पति-पत्नी को पहले बच्चे के साथ देखा था, लेकिन थोड़ी देर बाद उनके पास बच्चा नहीं था। शक होने पर उसने सांचौर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि बेरोजगारी के कारण मेरे पास बच्चे को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है, इसलिए नहर में फेंक दिया। आरोपी के कबूलनामे के बाद पुलिस ने शुक्रवार शाम करीब पांच बजे सिद्धेश्वर से बीस किलोमीटर दूर तेतरोल में नहर से बच्चे का शव बरामद कर लिया और पोस्टमार्टम के बाद नगर पालिका के सहयोग से उसका अंतिम संस्कार करवाया। बच्चे की मां ने बताया कि मुकेश बोल रहे थे भूख से मर रहे हैं, रोड पर घूम रहे हैं, अच्छा नहीं लग रहा। 5-6 दिन पहले अहमदाबाद में मरने के लिए गए थे। फिर वो बोले- चलो मरते नहीं है, बच्चे को मम्मी-पापा के पास छोड़ देते हैं। दोनों मिलकर नौकरी करेंगे।
सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे, लेकिन मैनेजर सिक्योरिटी गार्डों को बदलते रहते थे, इसलिए नौकरी चली गई थी और भूख से मर रहे थे। मैं अपने घर पर भी वापस नहीं जा सकती थी। घरवालों ने कहा था कि तूने जो कदम उठाया है न, लौटकर वापस मत आना।
बेरोज़गारी के चलते भीख मांगी, पेट पालने तक के पैसे नहीं हुए तो बच्चा नहर में फेंककर मार डाला
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