बच्चों के खिलाफ यौन अपराध मामलों में सरकार ने देश में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट को बढ़ाया : ईरानी

Featured News Social News Uncategorized

नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर)
देश में बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों पर लगाम लगाना मुश्किल होता जा रहा है। साल 2020 में पॉक्सो एक्ट के तहत कुल 47 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में यह जानकारी दी। सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस मामले में सज़ा की दर 39.6 फीसदी रही है। अधिनियम के तहत लंबित मामलों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सांसद एस वेंकटेशन के सवाल का जवाब देते हुए, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा एकत्रित राज्यवार डेटा को सदन में रखा। पंजीकृत मामलों में उत्तर प्रदेश 6,898 केस के साथ पहले नंबर पर है। इसके बाद महाराष्ट्र (5,687) और मध्य प्रदेश (5,648) है।
आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में दोषसिद्धि दर 70.7 फीसदी थी, जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आंकड़े क्रमशः 30.9 फीसदी और 37.2 फीसदी थे। दूसरी ओर, मणिपुर एकमात्र ऐसा राज्य केंद्र शासित प्रदेश था जहां सजा की दर लगातार तीन सालों तक 100 फीसदी थी। ईरानी ने कहा कि 2020 के अंत तक 170000 मामले लंबित थे, जो कि साल 2018 (108129) की तुलना में 57.4 फीसदी अधिक था। 2020 में, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और चंडीगढ़ में पॉक्सो एक्ट का एक भी मामले दर्ज नहीं हुए थे। हालांकि, बाद में एक केस में चार्जटीश दायर की गई और साल के अंत दो व्यक्तियों पर आरोप लगाया गया है और आठ मामले लंबित रहे। वहीं, गोवा और हिमाचल प्रदेश में सबसे कम पांच-पांच मामले दर्ज किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, न्याय विभाग 1,023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) स्थापित करने के लिए एक योजना को अमल में ला रहा है, जिसमें 389 विशेष पॉक्सो अदालतें शामिल हैं, जो बलात्कार और पोक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों की तेजी से सुनवाई और निपटारा करती है। ईरानी ने कहा कि 2022 में 892 एफटीएससी सक्रिय थे, जबकि 2021 में 898 थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *