नई दिल्ली (एजेन्सी)
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने एक बार फिर दावा किया है कि उसने अल कायदा के अयमान अल जवाहिरी को समाप्त कर दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद इसकी पुष्टि की और उन्होंने कहा कि इंसाफ हो गया है। बताया गया कि अल जवाहिरी अफगानिस्तान के काबुल में छिपा था। जहां अमेरिकी एजेंसी सीआईए ने एयर स्ट्राइक कर उसे ढेर कर दिया। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब अल जवाहिरी के खात्मे का दावा किया गया है। इससे पहले भी कई बार अचानक अल जवाहिरी दुनिया के सामने आ चुका है जब उसे मृत बताया गया था। अयमान-अल-जवाहिरी के मारे जाने की तालिबान ने भी पुष्टि कर दी है। इसके साथ ही उसने अमेरिका की ओर से काबुल में ड्रोन अटैक कर जवाहिरी को मार गिराने की निंदा भी की है। अफगानिस्तान की न्यूज वेबसाइट के अनुसार काबुल में एक जोरदार धमाका रविवार को सुबह हुआ था। इससे पहले अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल नफी टकोर ने दावा किया था, ‘शेरपुर में एक घर पर रॉकेट से अटैक हुआ। घर खाली था इसलिए किसी की मौत नहीं हुई थी।’ बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज टीवी पर अपने संबोधन में बताया कि अलकायदा के चीफ अयमान अल जवाहिरी को मार गिराया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब न्याय हो गया है।
अल जवाहिरी को अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड कहा जाता है। उसे दुनिया के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया गया और लंबे समय से अमेरिका उसकी तलाश कर रहा था। पहले भी अमेरिका की ओर से जवाहिरी को मार गिराने के दावे किए गए थे, लेकिन खुद जवाहिरी ही कई बार टेप जारी कर उन्हें खारिज कर चुका था। हालांकि कभी अमेरिकी राष्ट्रपति ने बयान जारी कर जवाहिरी के मारे जाने की बात नहीं कही थी। बीते साल अगस्त में ही अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी की थी और उसके ठीक के एक साल बाद उसने यह बड़ी कार्रवाई की है।
जवाहिरी को मारने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अलकायदा चीफ को शरण देकर तालिबान ने दोहा एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है। ब्लिंकन ने बयान जारी कर कहा, ‘एक तरफ तालिबान दुनिया से कहता रहा है कि वह अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकियों को नहीं करने देगा। लेकिन जवाहिरी को शरण देकर उसने दोहा एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है।’ बता दें कि अमेरिकी सेनाओं की अफगानिस्तान से वापसी से पहले फरवरी 2020 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था। दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच एक एग्रीमेंट हुआ था।इसमें तालिबान ने सहमति जताई थी कि वह अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद हिंसा का रास्ता छोड़ देगा। अलावा अफगानिस्तान की जमीन पर आतंकवादियों का ठिकाना नहीं बनने देगा, जो वहां से दूसरे देशों को नुकसान पहुंचाने की योजनाएं तैयार करते हों। ब्लिंकन ने कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान के लोगों को भी धोखा दिया है। इससे दुनिया में उसकी सरकार की मान्यता और संबंधों को बेहतर करने की संभावनाओं पर भी असर पड़ेगा।
