नई दिल्ली (क़ौमी आगाज़ डेस्क)
पोप फ्रांसिस ने कनाडा में इनुइट समुदाय के लोगों से मिलने के लिए नुनावुत की यात्रा की। वह सप्ताह भर लंबी ‘प्रायश्चित तीर्थयात्रा’ पर देश में चर्च द्वारा संचालित आवासीय स्कूलों में मूल निवासियों पर हुए अत्याचारों के पीड़ितों से मिलने दूरस्थ क्षेत्र स्थित स्कूल पहुंचे। पोप फ्रांसिस ने इकालुइट क्षेत्र में एक प्राथमिक विद्यालय में पूर्व छात्रों से मुलाकात की। उन्होंने अपने परिवारों से दूर किए जाने एवं गिरजाघर द्वारा संचालित सरकारी वित्त पोषित बोर्डिंग स्कूलों में जाने के लिए मजबूर किए जाने के पूर्व छात्रों के अनुभवों को सुना। 1800 के दशक के अंत से 1970 के दशक तक प्रभावी रही इस नीति का उद्देश्य बच्चों को उनकी मूल संस्कृतियों से अलग करना और उन्हें कनाडाई, ईसाई समाज में आत्मसात करना था। फ्रांसिस ने स्कूल के बाहर इनुइट समुदाय के युवाओं और बुजुर्गों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, माता-पिता और बच्चों को जोड़ने वाले बंधनों को तोड़ना, करीबी रिश्तों को नुकसान पहुंचाना, छोटे बच्चों को नुकसान पहुंचाना और उन्हें अपमानित करना अत्यंत बुरा है। पोप फ्रांसिस ने शनिवार को सहमति जताई कि चर्च द्वारा संचालित आवासीय स्कूल प्रणाली के माध्यम से कनाडा में स्वदेशी संस्कृति को खत्म करने की कोशिश एक ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ (Cultural Genocide) के बराबर है। कनाडा से घर लौटते वक्त उन्होंने पत्रकारों से कहा, स्कूलों में कैथोलिक चर्च की भूमिका का प्रायश्चित करने के लिए अपनी यात्रा के दौरान इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि यह उनके दिमाग में ही नहीं आया। पोप फ्रांसिस ने शनिवार को स्वीकार किया कि वह अपने घुटनों की दिक्कत की वजह से अब पहले की तरह यात्रा नहीं कर सकते और कनाडा की उनकी सप्ताह भर की यात्रा एक परीक्षा की तरह थी, जिससे संकेत मिला कि उन्हें अब सक्रियता कम करने एवं एक दिन संभवत: पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा, इस्तीफा देने के बारे में नहीं सोचा है लेकिन यह विकल्प खुला हुआ है और पोप का पद छोड़ने में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा, यह अजीब नहीं, इससे कोई पहाड़ नहीं टूट जाएगा, आप पोप को बदल सकते हैं।
