नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर भड़का चीन कहा अमेरिका को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी

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अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान के पेलोसी के पहुंचते ही चीन आगबबूला हो गया है और उसने ताइवान पर कई प्रतिबंध लगा दिए। उधर चीनी सेना ने सैन्य विमानों से ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में उड़ान भरकर अपनी ताकत दिखाई। साथ ही पेलोसी ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि उनकी यात्रा मानवाधिकारों की रक्षा, अनुचित व्यापार परंपराओं का विरोध और सुरक्षा को लेकर है।
चीन की सेना पीएलए ने ताइवान के चारों ओर फायर ड्रिल और टारगेटेड मिलिट्री ऑपरेशन को शुरू कर दिया है। चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने इसकी जानकारी दी है। पेलोसी के ताइवान पहुँचने पर चीन ने कहा कि अमेरिका ने ‘वन चाइना पॉलिसी’ का उल्लंघन किया है। चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान की हाई-प्रोफाइल यात्रा पर कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए अमेरिकी राजदूत को तलब किया है। चीन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका को इस गलती की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अमेरिका ताइवान में दखलअंदाजी बंद करे। अमेरिकी स्पीकर पेलोसी ने कहा कि दुनिया में लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष है। जैसा कि चीन समर्थन हासिल करने के लिए अपनी सॉफ्ट पावर का उपयोग करता है, हमें ताइवान के बारे में उसकी तकनीकी प्रगति के बारे में बात करनी होगी और लोगों को ताइवान के अधिक लोकतांत्रिक बनने का साहस दिखाना होगा। ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका उसे सैन्य उपकरण बेचता है, जिसमें ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं। ओबामा प्रशासन ने 6.4 अरब डॉलर के हथियारों के सौदे के तहत 2010 में ताइवान को 60 ब्लैक हॉक्स बेचने की मंजूरी दी थी। इसके जवाब में, चीन ने अमेरिका के साथ कुछ सैन्य संबंधों को अस्थायी रूप से तोड़ दिया था। अमेरिका के साथ ताइवान के बीच टकराव 1996 से चला आ रहा है। चीन ताइवान के मुद्दे पर किसी तरह का विदेशी दखल नहीं चाहता है। उसकी कोशिश रहती है कि कोई भी देश ऐसा कुछ नहीं करे जिससे ताइवान को अलग पहचान मिले। यही, वहज है अमेरिकी संसद की स्पीकर के दौरे से चीन भड़क गया है।
चीन-ताइवान के बीच विवाद का कारण ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थिति एक द्वीप है। ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हैं। ऐतिहासिक रूप से से देखें तो ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा था। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा कि हम ताइवान स्टेट में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। ताइवान एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक को सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा तौर पर एक प्रमुख स्थिर शक्ति बना सकता है। उन्होंने कहा कि हम अपने देश की संप्रभुता को मजबूती से बनाए रखेंगे और साथ ही हम लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए दुनिया भर के सभी लोकतंत्रों के साथ सहयोग और एकता के साथ काम करना चाहते हैं। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कहा कि अमेरिकी स्पीकर पेलोसी वास्तव में ताइवान के सबसे समर्पित मित्रों में से एक हैं। ताइवान के लिए अमेरिकी कांग्रेस के कट्टर समर्थन को प्रदर्शित करने के लिए ताइवान की यह यात्रा करने के लिए हम आपके आभारी हैं। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका ने हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा किया है। इस मजबूत नींव पर, हमारी आर्थिक समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध क्षेत्र और दुनिया में पारस्परिक सुरक्षा पर केंद्रित स्व-सरकार और आत्मनिर्णय पर आधारित एक संपन्न साझेदारी है। उन्होंने कहा कि आपका समाज वास्तव में दुनिया के लिए मिसाल है। ताइवान में लोकतंत्र फल-फूल रहा है। ताइवान ने दुनिया को साबित किया है कि चुनौतियों के बावजूद अगर आशा, साहस और दृढ़ संकल्प है तो आप समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। ताइवान के साथ अमेरिका की एकजुटता महत्वपूर्ण है। आज हम यही संदेश लेकर आए हैं। अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचते ही चीन आगबबूला हो गया और ताइवान पर कई प्रतिबंध लगा दिए। इतना ही नहीं चीनी सेना ने 21 सैन्य विमानों से ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में उड़ान भरकर अपनी ताकत दिखाई। वहीं पेलोसी ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि ताइवान की सरकार व जनता से कहा कि उनकी यात्रा मानवाधिकारों की रक्षा, अनुचित व्यापार परंपराओं का विरोध और सुरक्षा को लेकर है।

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