नई दिल्ली (एजेन्सी) चीनी टेक कंपनी हुआवेई और मॉरीशस टेलीकॉम के पूर्व सीईओ शेरी सिंह के बीच घनिष्ठ संबंध रहा है। और भारत की जानकारी चीन को लीक की थी इसलिए मॉरीशस टेलीकॉम के पूर्व सीईओ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब उनके चीन के साथ संबंधों की खबर आ रही है। यह एक ऐसा रहस्योद्घाटन है जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहुत बड़ा प्रभाव डाल सकता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हुआवेई ने मॉरीशस में बड़ा विस्तार किया हुआ है जोकि भारत का करीबी देश है। गौरतलब है कि शेरी सिंह ने सात साल से अधिक समय तक कंपनी का नेतृत्व करने के बाद पिछले महीने मॉरीशस की राष्ट्रीय दूरसंचार कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के साथ ही उनके और हुआवेई के बीच रिश्ते की खबरें सामने आने लगीं। उन पर भारत की जासूसी करने का आरोप लगा है। इस्तीफा देने के बाद शेरी सिंह ने दो अलग-अलग इंटरव्यू में भारत को लेकर कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए थे। उन्होंने कहा कि मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के अनुरोध पर भारत की टीम ने उनके देश का दौरा किया। इस दौरान इस टीम ने पूरे देश का सर्वे किया था। कहा जा रहा है कि शेरी सिंह ने ये जानकारी जानबूझकर लीक की थी ताकि चीन को इसके बारे में पता चल सके। मॉरीशस टेलीकॉम के कर्मचारियों को लिखे एक लेटर में सिंह ने कहा कि वह मूल्यों से समझौता करके सीईओ के रूप में काम करने में असमर्थ हैं। शेरी सिंह ने कहा कि पीएम जगन्नाथ ने उन्हें भारतीय टीम को ‘स्नीफिंग डिवाइस’ (जासूसी डिवाइस) स्थापित करने के उद्देश्य से एक फैसिलिटी तक पहुंचने की अनुमति देने के लिए मजबूर किया था। शेरी सिंह ने ले देफी मीडिया समूह और ला सेंटिनल को दो इंटरव्यू दिए थे। इनका सीधा प्रसारण किया गया। शेरी सिंह ने आरोप लगाया कि पीएम जुगनाथ ने उन्हें मजबूर किया, कि एक भारतीय टीम को बेइ-दु-जेकोटे में स्थित एक सेफ केबल लैंडिंग स्टेशन तक पहुंचने की अनुमति दे दें। यह द्वीप राष्ट्र का एक प्रतिबंधित क्षेत्र है। अब इस बात को लेकर मचा हुआ है कि प्रधानमंत्री ने जिस भारतीय टीम को वहां तक पहुंचने की अनुमति दी, वह कथित तौर पर वहां ‘जासूसी’ उपकरण लगाने गई थी ताकि मॉरीशस के इंटरनेट ट्रैफिक पर नजर रखी जा सके। मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने भारत पर आरोप लगाने के लिए विपक्षी दलों को फटकार लगाई और उन्होंने उस सुरक्षा मुद्दे का भी जिक्र किया जिसका उनका द्वीप देश सामना कर रहा है। जगन्नाथ ने एक बयान में कहा कि उन्होंने इस सर्वेक्षण के लिए एक सक्षम टीम भेजने के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क किया था। उन्होंने कहा, ‘मॉरीशस में हमारे पास इस सर्वे के लिए टेक्नीशियन नहीं हैं। इसलिए हमने टेक्नीशियंस की इस भारतीय टीम के साथ जाना पसंद किया।’ इस मामले पर बयान देते हुए एक नियमित ब्रीफिंग में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि विवाद के बारे में पीएम जगन्नाथ का बयान भारत के दृष्टिकोण से काफी अच्छी तरह मेल खाता है। हालांकि यह मामला इतना भी साधारण नहीं दिख रहा है। दरअसल शेरी सिंह के समय में में हुआवेई को कॉन्ट्रैक्ट के आवंटन का मुद्दा कार्यकारी और चीनी सरकार के बीच ‘अपवित्र’ गठबंधन की ओर इशारा करता है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एमटी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने कॉन्ट्रैक्ट के आवंटन के दौरान कुछ प्रक्रियाओं के बारे में गंभीर आपत्ति व्यक्त की है। 2006-07 की अवधि के दौरान, हुआवेई को करोड़ों रुपये के कॉन्ट्रैक्ट दिए गए थे, लेकिन सिंह के कार्यकाल के दौरान इसकी कीमत अरबों रुपये तक पहुंच गई थी। पूर्व एमटी सीईओ पर हुआवेई को अपने व्यवसाय का विस्तार करने में मदद करने का आरोप है।
