नई दिल्ली (क़ौमी आगाज़ डेस्क)
पड़ौसी देश श्रीलंका इस समय सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हालत इस कदर बिगड़ चुके हैं कि जनता के भारी आक्रोश के बीच पद पर रहते हुए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे देश के राष्ट्रपति बने हैं। राष्ट्रपति तो बदले हैं लेकिन जनता की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही है। भारी आर्थिक संकट के बीच दो जून की रोटी मिल जाए, लोग इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। जो महिलाएं भी काम कर देश की अर्थव्यवस्था में भागीदारी निभा रही थीं, अब वह भी बेरोज़गार हों गयी हैं उनकी नौकरियां भी चली गई हैं। खबर यह नही है कि नौकरी खोने के बाद महिलाएं देह व्यापार तक करने को मजबूर हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्थिक संकट के चलते देशभर में अस्थायी वेश्यालयों को खुलते देखा जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में देह व्यापार में तीस फीसदी की बढ़ोत्तरी इसलिए हुई है, क्योंकि यहां की महिलाएं आजीविका के लिए यह काम करने पर मजबूर हैं। इनमें से कुछ वेश्यालय स्पा और वेलनेस सेंटर के रूप में काम कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि इन महिलाओं के परिवारों दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराने का यही एकमात्र तरीका बच गया है। स्टैंड अप मूवमेंट लंका (एसयूएमएल) की कार्यकारी निदेशक आशिला दंडेनिया ने बताया कि कपड़ा उद्योग में काम करने वाली महिलाएं आर्थिक संकट के कारण काम से निकाल दिए जाने के बाद देह व्यापार का सहारा ले रही हैं। कई महिलाएं देह व्यापार को अपना रही हैं क्योंकि खाने की चीजों के दाम इतने बढ़ गए हैं कि वे घर नहीं चला पा रहे हैं। एक युवती का कहना है कि कैसे वह कपड़ा उद्योग के एक कर्मचारी से देह व्यापार करने लगीं। उसने बताया कि सात महीने पहले उसने अपनी नौकरी खो दी थी और महीनों तक नौकरी नही मिली तो देह व्यापार का रास्ता चुना। युवती ने बताया कि पिछले साल दिसंबर में मैंने एक कपड़ा कारखाने में अपनी नौकरी खो दी। फिर मुझे दैनिक आधार पर एक और नौकरी मिल गई। लेकिन मुझे पैसे नहीं मिले क्योंकि मैं इसमें नियमित नहीं थीं। युवती ने आगे बताया कि इसके बाद उनसे एक स्पा मालिक ने संपर्क किया और उन्होंने मौजूदा संकट के कारण एक वैश्य के रूप में काम करने का फैसला किया।
श्रीलंका में महंगाई की दर जुलाई महीने में 60.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है। जून महीने में यह 54.6 प्रतिशत थी। बदहाली के दौर से गुजर रहे श्रीलंका के सांख्यिकी विभाग की ओर से शनिवार को यह जानकारी दी गई।
मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि विदेशी मुद्रा कोष खाली रहने के कारण खाद्य पदार्थों और ईंधन की कमी बनी हुई है। सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि साल दर साल की महंगाई दर कोलंबो कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर जुलाई महीने में 60.8 प्रतिशत रही। बीते जून महीने में यह 54.6 प्रतिशत थी। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के अनुसार देश में महंगाई की दर 75 प्रतिशत तक जा सकी है। आपको बता दें कि श्रीलंका साल 1948 में आजाद होने के बाद वर्तमान समय में सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से जूझ रहा है। आर्थिक मंदी के कारण श्रीलंका के आम लोग खाद्य पदार्थों और ईंधन की कमी झेल रहे हैं।
