प्रधान न्यायधीश एनवी रमण ने कहा, बहुसंख्य लोग न्याय तंत्र तक नहीं पहुंच पाते हैं, अधिकतर मौन रहकर पीड़ा सहते हैं

National News Social News

नई दिल्ली (वेबवार्ता एजेन्सी )
अखिल भारतीय जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण एआईएलडीएसए के सम्मेलन में सीजेआई ने न्याय पाने से सम्बन्धित अनेक बातें कहीं। इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया। मोदी ने कहा कि व्यापार और जीवन में आसानी की तरह ही न्याय की आसानी भी जरूरी है। देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि हमारी असली ताकत युवाओं में है। दुनिया के 1/5 (20 फीसदी या हर पांचवां) युवा भारत में रहते हैं, लेकिन कुशल श्रमिक हमारे कार्यबल का केवल तीन फीसदी हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश के कौशल बल का उपयोग करने की आवश्यकता है। सीजेआई रमण ने यह भी कहा कि देश की आबादी का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही अदालतों का दरवाजा खटखटा पाता है, जबकि बहुसंख्यक आबादी चुप्पी, जागरूकता और आवश्यक साधनों की कमी के कारण अदालतों तक नहीं पहुंच पाती है। सीजेआई ने यह बात पहले अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सम्मेलन के सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा कि बहुसंख्य लोग न्याय तंत्र तक नहीं पहुंच पाते हैं। न्याय तक पहुंच सामाजिक मुक्ति का एक साधन है। अगर आज हम न्याय के साथ लोगों के दरवाजे तक पहुंच पाए हैं, तो हमें योग्य न्यायाधीशों, उत्साही अधिवक्ताओं और सरकारों को धन्यवाद देना होगा। जस्टिस रमण ने कहा कि देश के अधिकांश लोगों के लिए जिला न्यायिक अधिकारी अदालत से संपर्क का पहला बिंदु होते हैं। न्यायपालिका को लेकर जनता की राय जिला न्यायालय को लेकर उनके अनुभव पर आधारित होती है, इसलिए जिला न्यायालयों को मजबूत करना समय की मांग है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘ये समय हमारी आजादी के अमृतकाल का समय है। ये समय उन संकल्पों का समय है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। देश की इस अमृतयात्रा में व्यापार करने में आसानी और जीवन में आसानी की तरह ही न्याय की आसानी भी उतनी ही जरूरी है।’ पीएम मोदी ने आगे कहा कि किसी भी समाज के लिए न्याय प्रणाली तक पहुंच जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी न्याय वितरण प्रणाली भी है। इसमें एक अहम योगदान न्यायिक अवसंरचना का भी होता है। पिछले आठ वर्षों में देश के न्यायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है। इसे आधुनिक बनाने के लिए 9,000 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की प्रथम बैठक के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू भी मौजूद थे।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय सामाजिक-आर्थिक रूप से मजबूत वर्गों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। सरकार का कर्तव्य एक न्यायोचित और समतावादी सामाजिक व्यवस्था सुनिश्चित करना है। भारत जैसे विशाल देश में जहां जातिगत आधार पर असमानता मौजूद है, प्रौद्योगिकी तक पहुंच का दायरा बढ़ा कर डिजिटल विभाजन को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक तक न्याय की पहुंच को बढ़ाना जरूरी है। उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों ने 30 अप्रैल 2022 की तारीख तक 1.92 करोड़ मामलों की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंस के जरिए की है। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के पास 17 करोड़ निर्णय लिए गए और लंबित मामलों का डेटा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) सरकारी वकीलों के कार्यालय की तर्ज पर सभी जिलों में गरीबों और वंचितों के लिए कानूनी सहायता प्रणाली स्थापित करने जा रहा है। नालसा एक ऐसे कार्यक्रम की योजना बना रहा है, जिसके तहत देशभर के उन गरीब आरोपियों के बचाव के लिए कानूनी सहायता मुहैया कराई जाएगी, जो निजी वकीलों का खर्च नहीं उठा सकते। अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि आज पहली बार अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक दिल्ली में हो रही है। हमारे देश में जन-जन तक न्याय की पहुंच आज भी एक बहुत बड़ी चुनौती है। कानूनी सेवाओं में समता, जवाबदेही और आसान पहुंच जैसी तीन आवश्यकताओं को सुरक्षित करने के लिए हम नागरिकों की भागीदारी को अमल में ला सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *