अब हर महीने बिजली के मनमाने रेट वसूलने की तैयारी में है सरकार

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नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर)
लो एक और बड़ा झटका आम लोगों के लिए है कि देश में अब बिजली की दरों में हर महीने बदलाव होगा। विद्युत उत्पादन ग्रहों में प्रयोग होने वाले ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस की कीमतों के आधार पर बिजली दरें तय की जाएंगी।इस नए प्रावधान के अगले साल की शुरुआत से प्रभावी होने की संभावना है। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 176 के तहत 2005 में पहली बार नियम बनाए थे। अब इसमें संशोधन की तैयारी है। इसके लिए विद्युत संशोधन अधिनियम 2022 का मसौदा जारी कर दिया गया है। मंत्रालय के उप सचिव डी चट्टोपाध्याय की ओर से 12 अगस्त को सभी राज्य सरकारों सहित अन्य संबंधित इकाइयों को मसौदा भेजकर 11 सितंबर तक सुझाव मांगे गए हैं। मसौदे में यह प्रावधान है कि वितरण कंपनी द्वारा बिजली खरीद की धनराशि की समय से वसूली के लिए ईंधन की कीमतों के आधार पर हर महीने हदें तय की जाऐंगी और इसकी वसूली की जाएगी।
विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के माध्यम से केंद्र सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करना चाहती है। निजी क्षेत्र के जो वितरण लाइसेंसी होंगे उनके हितों को देखते हुए विद्युत अधिनियम 2005 में संशोधन किया जा रहा है ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो इसकी क़ीमत आम उपभोक्ता को चुकानी पड़ेगी। इसी वर्ष 5 मई को विद्युत मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि यद्यपि पीपीए इंधन की बड़ी कीमत वितरण कंपनियों से वसूलने का प्रावधान नहीं है लेकिन इसमें वृद्धि को देखते हुए पीपीए में संशोधन के लिए एक समिति का गठन किया गया है। समिति में विद्युत मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण व केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के प्रतिनिधि शामिल थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीपीए में संशोधन किया जाएगा अगर पीपीए करने वाली वितरण कंपनी ने अपने स्तर पर बिजली नहीं खरीदी है तो उत्पादन एनर्जी एक्सचेंज के माध्यम से उस बिजली को खुले बाज़ार में बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।
लोगों और पब्लिक पोलिटिकल पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार अब महंगाई की हदें पार करते हुए आम लोगों की जान लेवा हदों तक जाकर,उनकी जान ही लेने पर तुल आई है। पब्लिक पोलिटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपमाला श्रीवास्तव ने कहा है कि सरकारों का कर्तव्य बनता है कि वह आम लोगों के प्रयोग की वस्तुओं को कम मूल्यों पर उपलब्ध कराए लेकिन यह सरकार महंगाई डायन को बढ़ाए जात है जो आम लोगों को खाए जात है।

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